“गरीब का तोहफा — जिसने बदल दी सोच”

 “गरीब का तोहफा — जिसने बदल दी सोच”


अजय एक सफल कपड़े का व्यापारी था। शहर के बीचोंबीच उसका बड़ा सा दुकान था, जहां ग्राहकों की भीड़ लगी रहती थी। उसका व्यापार खूब फल-फूल रहा था, और उसी वजह से उसकी पहचान समाज में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति के रूप में थी। उसके तीन बच्चे थे — दो बेटियाँ और एक बेटा। बड़ी बेटी की शादी तय हो चुकी थी और अब से दो महीने बाद शादी की तारीख थी।

“गरीब का तोहफा — जिसने बदल दी सोच”
 “गरीब का तोहफा — जिसने बदल दी सोच”


अजय इन दिनों शादी की तैयारियों में व्यस्त था। उसने अपने सभी जान-पहचान वालों, दुकानदार दोस्तों और रिश्तेदारों को शादी के कार्ड दे दिए थे। एक दिन वह पास की राशन दुकान पर गया, जो उसके पुराने दोस्त की थी। बातचीत के दौरान दोस्त ने उससे पूछा,

“शादी की तैयारी ठीक चल रही है न?”

अजय ने मुस्कुराकर कहा, “हां, सब कुछ बढ़िया चल रहा है।”


फिर दोस्त ने पूछा, “तुमने सभी दुकानदारों को कार्ड दे दिया?”

अजय ने सिर हिलाते हुए कहा, “हां, एक भी नहीं छोड़ा।”

दोस्त ने फिर पूछा, “तुम्हारे दुकान के सामने जो मोची बैठता है, उसे भी कार्ड दिया?”

अजय ने जवाब दिया, “हां, उसे भी दिया।"


फिर दोस्त मुस्कराकर बोला, “अरे वह तो गरीब है, वह शादी में क्या देगा?”

इस पर अजय बोला, “हां, मैं जानता हूं वह कुछ बड़ा तोहफा नहीं दे सकता, लेकिन कम से कम कार्ड का दाम तो निकाल देगा।”


शादी का दिन आया। पूरा माहौल खुशियों से भरा हुआ था। रिश्तेदार, मित्र, सभी मेहमान आ रहे थे और साथ में उपहार भी ला रहे थे। तभी वह गरीब मोची भी आया — सादे कपड़े पहने, हाथ में एक छोटा-सा उपहार लिए। अजय ने उसे देखा और मन में सोचा,

“जरूर इस पैकेट में कोई सस्ती चीज़ होगी।”


शादी समारोह खुशी-खुशी संपन्न हो गया। अगले दिन अजय अपने परिवार के साथ बैठकर सभी उपहार खोलने लगा। तभी उसकी नजर उस गरीब मोची के उपहार पर पड़ी। उसने पैकेट खोला और देखते ही चौंक गया — अंदर चांदी की एक सुंदर पायल रखी थी।


अजय के चेहरे का भाव बदल गया। उसके मन में ग्लानि की लहर दौड़ गई। उसने उस गरीब को कमज़ोर समझा था, लेकिन उसका तोहफा दिल से दिया गया था — और बेहद कीमती भी।


अगले दिन अजय सीधे उस मोची के पास गया। नम्र होकर बोला,

“भाई, तुमने चांदी की पायल क्यों दी? तुम्हारे लिए तो यह बहुत महंगी रही होगी।”


मोची मुस्कराया और बोला,

“बेटी तो लक्ष्मी होती है बाबूजी। अगर मैंने किसी लक्ष्मी को खुशी दी, तो मेरी झोली भी खाली नहीं रहेगी। असली दौलत तो दिल से दी जाती है।”


अजय की आंखें भर आईं। उसने उस मोची के पैर छुए और कहा,

“भाई, तुमने मेरी आंखें खोल दीं। आज से मैं कभी किसी इंसान को उसके पैसों से नहीं आंकूंगा।”


---

सीख:


इस कहानी से हमें यह समझ में आता है कि इंसान की हैसियत उसके दिल से होती है, जेब से नहीं। किसी को छोटा समझने से पहले उसके इरादों और भावना को समझना जरूरी है। सच्चा तोहफा वही होता है जो दिल 

से दिया जाए, चाहे वह छोटा हो या बड़ा।

Post a Comment

If you doubt please comment

Previous Post Next Post